कांग्रेस का जय और पराजय का संक्षिप्त इतिहास,

*कांग्रेस का जय और पराजय का संक्षिप्त इतिहास*


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 *लगभग 3 दशक तक लगातार देश पर राज करने वाली कॉन्ग्रेस को पहला झटका 1977 में लगा जब, उसके अपने ही नेता नेतृत्व की नीति से नाराज होकर बाहर निकले, और बाहर निकल कर जयप्रकाश नारायण, सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया, और 1977 में गैर कांग्रेसी की पहली बार देश में सरकार बनी !*


 *कांग्रेस को किसी गैर कांग्रेसी नेता या संगठन ने चुनौती नहीं दी थी बल्कि कांग्रेस को चुनौती कांग्रेस के अंदर से ही मिली थी और उस चुनौती के कारण ही कांग्रेस पहली बार सत्ता से बाहर हुई थी वह नेता थे जिन्होंने कांग्रेस से बाहर निकल कर चुनौती दी उसमें बाबू जगजीवन राम मोरारजी देसाई चौधरी चरण सिंह देवराज अर् स प्रमुख नेता थे !*


 *कांग्रेस के अप एंड डाउन का सिलसिला 1977 से ही शुरू हो गया था यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा ?*


 *और यह कहना भी गलत नहीं होगा की कांग्रेस को हमेशा चुनौती अपनों से ही मिली है चाहे वह केंद्र में हो या फिर राज्यों में!*


 *समय-समय पर कांग्रेश से नाराज होकर नेता बाहर निकले और अपने-अपने राज्यों में उन्होंने अपने राजनीतिक संगठन खड़े किए और अपने-अपने राज्यों में सत्ता पर काबि ज हुए*,


 *पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी महाराष्ट्र में शरद पवार आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी असम में हेमंत विश्वकर्मा यह वह नेता है, यह वह नेता है जिनकी आवाज को और उन्हें कॉन्ग्रेस का नेतृत्व समय रहते समझ नहीं पाया, बाद में इन नेताओं ने कांग्रेस अपने-अपने प्रदेशों में अपनी सरकार बना कर समझाया !*


  *जिक्र 1977 और अप डाउन की हो रही है ऐसे में जिक्र यह भी होना चाहिए की कांग्रेस की यह स्थिति क्यों बनी इसका एक कारण, कॉन्ग्रेस के भीतर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर कद्दावर और ताकतवर नेताओं का अभाव होना है, !*


 *1980 और 1990 तक कांग्रेस के अंदर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर के कद्दावर वे प्रभावशाली नेता देखेंगे लेकिन 1990 के बाद कद्दावर और प्रभावशाली नेताओं का अभाव नजर आने लगा!*


 *1980 में संजय गांधी ने इस अभाव को शायद महसूस किया और देश और प्रदेश में संजय गांधी ने युवा नेताओं की एक बड़ी टीम तैयार की, गुलाम नबी आजाद अंबिका सोनी जगदीश टाइटलर सज्जन कुमार अशोक गहलोत कमलनाथ अकबर अहमद डंपी जैसे कई युवा नेताओं को तैयार किया, और 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर से सत्ता मैं फिर से वापसी की !*


 *1980 मैं मिली सत्ता संजय गांधी और श्रीमती इंदिरा गांधी की मिश्रित रणनीति का परिणाम थी एक तरफ संजय गांधी की युवा लीडरशिप थी तो दूसरी तरफ बचे हुए कांग्रेस के कद्दावर नेता थे जिनमें दिनेश सिंह नटवर सिंह वीपी सिंह अर्जुन सिंह अमन भाई पटेल अमर सिंह शुक्ला बंधु हरिदेव जोशी जगन्नाथ पहाड़िया बंशीलाल भजनलाल जैसे कद्दावर नाम थे !*


 *संजय गांधी की मौत और श्रीमती इंदिरा गांधी की अचानक हत्या होने के बाद 1985 में कॉन्ग्रेस लगातार दूसरी बात सत्ता मैं आई ! राजीव गांधी अपने सहपाठियों और मित्रों को राजनीति के क्षेत्र में उतारा जिसमें अरुण नेहरू अरुण सिंह अमिताभ बच्चन माधवराव सिंधिया राजेश पायलट कैप्टन सतीश शर्मा जैसे नाम थे !*


*इन नामों में केवल माधवराव सिंधिया और राजेश पायलट ही कांग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में अपनी छवि देशभर में बना पाए लेकिन इन दोनों नेताओं की भी अचानक एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई!*


 *उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता वीपी सिंह राजीव गांधी सरकार से नाराज होकर बगावत की और अपना राजनीतिक संगठन खड़ा कर कांग्रेस को चुनौती दी और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई !*


 *यह दौर और 77 का दौर लगभग एक जैसा था उस दौर में भी कांग्रेस के अंदर से कद्दावर नेता बाहर निकले और इस दौर में भी कद्दावर नेता कांग्रेस से बाहर निकले जिसकी भरपाई कांग्रेस आज तक भी नहीं कर पा रही है बल्कि कॉन्ग्रेस इंदिरा राजीव संजय गांधी युग के नेताओं से ही अपना काम चला रही है ऐसा भी नहीं है की कॉन्ग्रेस के पास जनाधार वाले नेताओं का अभाव हो, इसी युग में ममता बनर्जी जगन रेड्डी और हेमंत विश्वकर्मा जैसे कद्दावर नेता कांग्रेस से निकले और अपने-अपने राज्यों में उन्होंने अपनी पार्टी अपने दम पर खड़ी की और अपने राज्यों में सरकार बनाई !*


 *कांग्रेस के पास राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जंबो कार्यकारिणी तो है मगर देश के अंदर जनाधार की कमी है यह क्यों है इसका कांग्रेसमें शायद कभी विश्लेषण ही नहीं किया होगा, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कार्यकारिणी के अंदर ऐसे नेता मौजूद हैं जो दशकों से सत्ता और संगठन का सुख भोग रहे हैं ज्यादातर नेता वह है जो जब कांग्रेस सत्ता में रहती है तब वे सत्ता के गलियारों में नजर आते हैं और जब कांग्रेश सत्ता से बाहर होती है तब वह कांग्रेश के गलियारों में नजर आते हैं, क्या यही कांग्रेश के अप डाउन का कारण है, जो अपने-अपने प्रदेशों के अंदर कद्दावर व प्रभावशाली नेताओं को सत्ता और संगठन दोनों से बाहर रखता है जिसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ता है !*


                 *बृजभूषण सिंह अकेला प्रदेश संयोजक, सेवादल सिपाही (उ, प्र)*


श्री हरि टाइम्स सह संपादक


अजय कुमार उपाध्याय


वाराणसी 9473975821


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