काल्पनिक रचना हाथी वा सवा लाख की कहानी राजेंद्र सिंह की,

जिंदा हाथी एक लाख का मरा हाथी सवा लाख का लेखक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह जिंदे l।                           हमारे रेलवे विभाग के अंदर करीम भाई रहीम भाई दोनों काम करते थे बड़ी मेहनत और लगन से हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे किसी से कुछ नहीं कहते थे करीम भाई के दो बच्चे थे एक लड़का एक लड़की वह दिन रात मेहनत करते थे और बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए खून पसीना एक कर देते थे धीरे-धीरे वक्त बढ़ने लगा बच्चे बढ़ने लगे करीम भाई अचानक बहुत ज्यादा बीमार हो गया डॉक्टर ने चेक किया बताया कि उनके मुंह में कैंसर हो गया अत इनका इलाज मुंबई कैंसर कॉलेज में करवाया जाएगा रेलवे विभाग द्वारा इलाज के लिए उनको सरकारी खर्चे पर भेजने की व्यवस्था की गई साथ में उनका लड़का भी चला गया मुंबई की चमक धमक देखकर उनका लड़का हैरान होकर देखने लग गया सोचने लगा मैं तो जन्नत में आ गया हूं l अस्पताल में ले जाकर अपने पिताजी को भर्ती कर दिया सुबह शाम डॉक्टरों की देखभाल में करीम भाई का इलाज होने लगा परंतु दुभाग वंश उनके जीवन लीला समाप्त हो गई वापसी आने पर रेलवे विभाग द्वारा करीम भाई के लड़के को रेलवे में नौकरी मिल गई और पेंशन ग्रेजुएट फंड उनकी पत्नी को मिल गया रात दिन मेहनत करने वाला इंसान अब इस दुनिया में नहीं रहा घर परिवार कुछ दिन के बाद सब लोग उनको भूल गए वास्तव में कड़वा सच है जिंदा हाथी एक लाख का मारा तो सवाल आपका जब तक करीम भाई जिंदा थे तब तक लाख आते थे करने के बाद उनके लड़के को नौकरी मिल गई संसद हो गई उनकी पत्नी को सब फंड मिल गया यह इस बात का साथ है जिंदा हाथी एक लाख का मारा तो सवा लाख का l उक्त रचना मेरे द्वारा लिखी गई है मोबाइल नंबर 9454 999500

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